३. एक और जिसका शीर्षक है 'समुद्र'–सागर–या 'सामुद्रिक'–सामुद्रिक शास्त्र–ग्रंथ वास्तव में इसी विषय पर है। ("सामुद्रिक शास्त्र पर हिन्दी रचना");
४. 'जुग्त' या 'युक्त रामायण', हिन्दी पद्य में; अर्थात् 'रामायण का परिशिष्ट', संभवतः 'योग वाशिष्ठ का अनुवाद';[१]
५. 'हातिमताई'(हातिम के साहसिक कार्य), हिन्दी पद्य में तथा अन्य अनेक ग्रंथ।
'कवि चरित्र' में उल्लिखित एक हिन्दी लेखक, और नाम देव के समय में पंढरपुर में रहते थे।
गुरु गोविन्द[३] सिंह अथवा गोविन्द स्वामी, १७०८ में मृत्यु को प्राप्त, सिक्खों के दसवें गुरु, दसवे[४] पादशाह की[५] ग्रंथ'[६], या 'दशम पादशाह की ग्रंथ'[७]अर्थात् दसवें गुरु गोविन्द सिंह तथा अपने पूर्ववर्तियों की ( जैसा कि कलकत्ते के एशियाटिक सोसायटी के जर्नल१८३८, ४० ७११, में कहा गया है) पुस्तक के रचयिता हैं। लोग इस रचना को केवल 'ग्रन्थ' भी कहते हैं, किन्तु यह शीर्षक
- ↑ इसी रचना, या कम-से-कम इसी शीर्षक वाली एक रचना, के रचयिता बाबू जानकी प्रसाद बताए जाते हैं।
- ↑ भा॰ 'सुन्दर पानी लाने वाला',अर्थात् कृष्ण
- ↑ 'गायवाला', कृष्ण का नाम
- ↑ ठीक ठीक यह 'दसवीं' होना चाहिए क्योंकि 'दस' पूर्ण संख्या-वाचक है।
- ↑ बोलचाल में 'का' कहते हैं, जैसा कि कनिंघम ने 'हिस्ट्री ऑव दि सिक्ख्स', पृ॰ ३७२ में लिखा है किन्तु यह एक व्याकरण-संबंधी भूल हैं, क्योंकि 'ग्रंथ' स्त्रीलिंग है।
- ↑ 'दस पादशाह की ग्रंथ'(फ़ारसी लिपि से)
- ↑ दशम् पादशाह की ग्रंथ: