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ग्वाल कवि

उल्लेख, जिनके बाद प्राचीन समय के आठ राजाओं का इतिहास है;[१]

११.'रुद्र की अवतार'–शिव के अवतार ;

१२. 'शस्त्र नाममाला'–हथियारों के नाम । मानव-जाति के वंशों के विवरण की दृष्टि से यह पुस्तक रोचक है;

१३. 'श्री मुख वाक् सव्य बत्तीस' –बत्तीस छन्दों में गुरु ( गोविन्द ) की वाणी । ये छन्द वेदों, पुराणों और क़ुरान के विरुद्ध लिखे गए हैं ;

१४.'हजार शब्द’–शब्द ( नामक छन्द में ) हज़ार पद्य, गोविन्द कृत,ईश्वर तथा गौण देवताओं की प्रशंसा ;

१५.'स्त्री चरित्र'—स्त्रियों का उल्लेखअर्थात् श्याम कृत स्त्रियों के चरित्र और गुणों पर चार सौ चार किस्से । यह 'दस वजीर’ की भाँति एक विचित्र कथा है।

१६.'हिकायत-लघु कथाएँ। अन्य पुस्तकों की भाँति फारसी में किन्तु गुरुमुखी अक्षरों में लिखित,ये बारह कथाएँ हैं । ये लघु कथाएँ जो गोविन्द द्वारा लिखित और दयासिंह तथा अन्य चार सिक्खों के माध्यम द्वारा औरंगजेब को संबोधित हैं।

दो पत्र भी, एक ‘राहतनामा’–नियम का पत्र,और दूसरा तनख्वाहनामा' -क्षति पूर्ति का पत्र,गोविन्द कृत बताए जाते हैं । इनमें कुछ पूछे गए प्रश्नों के उत्तर में प्रसिद्ध सम्मतियाँ दी गई हैं। इनके कुछ रोचक उद्धरण कनिंघम कृत ‘हिस्ट्री ऑव दि सिक्ख्स’ (सिक्खों का इतिहास), ३९४ तथा बाद के पृष्ठों, में पाए जाते हैं।

ग्वाल[२] कवि

पद्माकर कृत 'गंगा लहरी’ —गंगा की लहर– के क्रम में


  1. पीछे उध्दृत कनिंघम कृत रचना मे इसके बारे मे विस्तार सहित देखिए।
  2. भा०'गाय वाला',संभवतः यहाँ कृष्ण के नाम के रूप मे प्रयुक्त हुआ है।