पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२८४

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5 - नाम दे। [ १२६ एक अनुवाद फ़ारसीया, मेरे विचार से, कहना चाहिए उर्दू में भी है, जो १८५३ में मेरठ से छपा है, और जितने हिन्दी में उतने ही उर्दू में उसके अनेक संस्करण हैं। नाम देड एक प्रसिद्ध हिन्दू रचयिता हैं, जो, रेव रेडि जे० स्टीवेन्सन ’ के अनुसार, प्राकृत के रचयिताओं से भी अधिक प्राचीन हैं. जिनके नाम से बाद के लोग परिचित रहे हैं । । कहा जाता है कि के, शक-संवत् १२०० ( १२७८ ई० ) में उत्पन्न, ग्वालियर में पाए गए बालक थे । उन्हें एक दर्जी ने उठा लिया था जिसका उन्होंने व्यापार ग्रहण किया, तथा वे छीपी भी थे । किन्तु कवि चरित्र के लेखक का कहना है कि उनके पिता का नाम ज्ञान देव था। ये पंडलिका ( Pandalika ) के, जिन्होंने सर्वदर्शन संग्रहकारी संप्रदाय की स्थापना की थी, सर्वप्रथम शिष्यों में से थे । उन्होंने बहुत बड़ी संख्या में छंदों की रचना को जिनमें अभंग२५ या धार्मिक और नैतिक भजन भी हैं, जिनमें से कुछ स्वर्गीय दोशोआ (Ch. 'Ochoa ) द्वारा भारत से एक हस्तलिखित पोथी में बताए गए हैं; तथा उनका 'हरिपाठ’ शीर्ष क एक ग्रन्थ है । १ अथवा नम दे ' ३ ‘एशियाटिक रिसों', , १७, ४० २३८ 3 जर्नल ऑव दि बॉम्बे ब्रांच ऑव दि रॉवल पशियाटिक सोसायटी, पहली जिल्द, पु० ३ ४’ इस शब्द , स्टीवेन्सन ‘मरहठो' का अर्थ समझते हैं, और वास्तव में उन्होंने ताम देख का मरहठा लेखकों में ही उल्लेख किया है। किन्तु नाम देव ने वस्तुतः हिन्दुई में लिदा प्रतीत होता है, कमसेकम कुछ कविताएँ 1 किन्तु अन्य के अतिरिक्त, भारतीय बोलियों ( dialects ) में मरहठी और गुजरतो ऐसी दो वोलियाँ है जो हिन्दी के अत्यधिक निकट हैं। ५ इस काव्य पर देखिए ‘भूमिका, पहली जिम्द, पृ० १० फा०-