पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/२९६

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पालि राम [ १४१। हैं, जिसका संबंध उषा और अनिरुद्ध के साथ उसके प्रेम की कथा से है । इस कथा का 'प्रेम सागर में, कई अध्याय में, विस्तृत वर्णन है ।' मैं नहीं जानता यदि यह बही रचना है जो मुद्रित हो चुकी है और जो देशी स्कूलों में पढ़ाई जाती है । पालि’ राम ने ‘बरन चन्द्रिका - वर्णन के चन्द्रमा की ज्योति, शीर्षक के अंतर्गत ‘नैरंग-इ नजर’ का उर्दू से हिन्दी में अनुवाद किया है; यह एक प्रकार का चित्रों सहित छोट-सा विश्वकोष , जो लड़कियों के स्कूलों के लाभार्थी है, और जिसके प्रथम अंक १८६४ और १८६५ में, लगभग ३० छोटे ठपेजी पृष्ठों में, मेरठ से प्रकाशित हुए हैं । वे अमीर अहमद के उर्दू-पत्र ‘नजमुल अखबार' समाचारों का सितारा के हिन्दी रूपान्तर, मेरठ के पाक्षिक पत्र, बिद्याद ज्ञान का श्रादों, के संपादक हैं । पा एक फ़क़ीर, अथवा हिन्दू सन्त समझे जाने वाले एक जोगी थे, जिनकी हिन्दी कविताएँ ‘आदि प्रन्थ’ में सम्मिलित हैं ५४ ‘भक्तमाल' में उनका इस प्रकार उल्लेख है, जिसके अनुसार बारहीं शताब्दी १ ४२ तथा बाद के अध्याय २ एच० एस० रोड ( Reid , 'रिपोर्ट इन्डेजेनस एज्यूकेशन; ऑन आगरा१८५२, ० १३७ 3 भा० ‘रक्षक राम’

  • ‘एशियाटिंक रिसर्दी, जि० १७यु० २८८