१५४ हिंदुई साहित्य का इतिहास हुआ है कि मुझे संदेह है कि वह संस्कृत या बँगला की रचना न हो । पृथीराज एक प्रसिद्ध राठौर राजपूत हैं जो, १५५२ से १६०५ तक अकबर के राजत्बकाल में रहते थे । वे बीकानेर नरेश के छोटे भाई थे. और जिन्होंने कवि के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की ।’ टॉड नेx 'ऐनल्स ऑॉव राजस्थान' में वर्णित एक ऐतिहासिक घटना से संबंधित उनकी रचना के एक महत्वपूर्ण अंश का उल्लेख किय है । इसी व्यक्ति की हिन्दू सन्तों में गणना की जाती है, और भक्तमाल' में उनसे संबंधित लेख इस प्रकार है : छपय र* अछित कूमे को द्वारकानाथ दर्शन दियो । श्री कृष्णद सर्व उपदेश परम तत्व परचो पायो । निर्गुण सगुण स्वरूप तिमिर अज्ञान नशायो । काठ बाल निकलंक मनो गांगेय युधिष्ठिर । हरिपूजा प्रहलाद ७ धर्मध्वज धारी जग पर । १ इस रचना के विषय के संबंध में सूचीपत्र में जो दिया गया है, वह इस प्रकार है : ‘महीना स्तोत्र : पुष्पदान्त द्वारा एक हिन्दू काव्य, १२-आयताकार २ भा० 'पृथ्वी का राजा’ 3 राग सागर ‘पृथोराज का राताका उल्लेख करता है। ४ 'ऐनल्स अब राजस्थान, त्रि० १, ३० ३४३ ५ "अबेर, । जयपुर प्रान्त को प्राचन राजथानो। उसकी वास्तविक राजधानी इसी नाम का नगर है। । द यही नाम उनका है जिन्होंने ‘भक्तमाल' के पुराने पाठ का विकास और उसकी टीका की । इस महापुरुष के संबंध में ऊपर और नाम देव संबंधी लेख में कहा जा चुका है, इस जिल्द (२ ) का ३० ४३४।