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हिंदुई साहित्य का इतिहास


बंसीधर[१] (पण्डित)

उत्तर-पश्चिम प्रदेश के स्कूलों के प्रधान निरीक्षक, उर्दू और विशेषतः हिन्दी के एक बहुत लिखने वाले आधुनिक लेखक हैं, जिन्हें श्री एच॰ एस॰ रीड (Reid) ने, जब वे उत्तर-पश्चिम प्रदेश के शिक्षा-विभाग के अध्यक्ष (Director of Public Instruction) थे, कई रचनाओं के निर्माण या अनुवाद करने में लगाया। जो मेरे जानने में आई हैं उनकी सूची यह है :

१. सदासुखलाल कृत 'मिफ़ताह उल क़वायद' के अनुकरण पर देशी लोगों के लाभार्थ एक अँगरेज़ी व्याकरण का हिन्दी रूपान्तर, जिसमें उत्तर-पश्चिम प्रदेश के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में १८५५ में आगरे से अलग-अलग प्रकाशित तीन परिच्छेद है, और जिनके कई संस्करण हो चुके हैं। बंशीधर ने उर्दू व्याकरण[२] पर भी एक प्राथमिक रचना प्रकाशित की है, जिसका उल्लेख आगे है।

२. 'मिरात उत्सात'––समय का दर्पण, हिन्दी में श्रीलाल लिखित समय प्रबन्ध का उर्दू अनुवाद, और आगरे से ही प्रकाशित।

३. 'ग्राम' या 'ग्राम्य कल्पद्रुम', जमालुद्दीन हसन[३] कृत उर्दू में 'किताब-इ हालात-इ दीहि' का हिन्दी में अनुवाद। इसके कई संस्करण हैं; दूसरा, इलाहाबाद से, बड़े अठपेजी ७८ पृ॰ का है।


  1. भा॰ कृष्ण के नामों में से एक जिसका अर्थ है 'भारतीय अंजीर के पेड़ का मालिक', इस पेड़ की छाया में उनके बंसी बजाने की दृष्टि से।
  2. श्री एच॰ एस॰ रीड की कृपा से, मेरे पास तृतीय संस्करण की एक प्रति है; इलाहाबाद, १८६०, १२-पेज; प्रथम परिच्छेद, ३६ पृ॰; द्वितीय परिच्छेद, ७८ पृ॰
  3. देखिए उन पर लेख