सबसे अधिक अभिव्यंजना-शक्ति-सम्पन्न और सबसे अधिक, शिष्ट प्रचलित भाषा है, यहाँ तक कि उसके सामान्य प्रयोग का कारण जानना अत्यधिक लाभदायक है।[१] वह अपने आप दिन भर में एक नवीन महत्व ग्रहण कर लेती है। दफ़्तरों और अदालतों में तो उसने फ़ारसी का स्थान ग्रहण कर ही लिया है; निस्सन्देह वह शीघ्र ही राजनीतिक पत्र-व्यवहार में भी उसका स्थान ग्रहण कर लेगी।
लिखित भाषा के रूप में, प्रसिद्ध भारतीयविद्याविशारद विल्सन, जिनके शब्द ज्यों-के-त्यों मैंने इस लेख के लिए ग्रहण किए हैं, के साथ मैं कह सकता हूँ : 'हिन्दी की बोलियों का एक साहित्य है जो उनकी विशेषता है, और जो अत्यधिक रोचक है'; और यह रोचकता केवल काव्यगत ही नहीं, ऐतिहासिक और दार्शनिक भी है; हम पहले हिन्दुस्तानी के ऐतिहासिक महत्त्व की परीक्षा करेंगे। हिन्दुई में, जो हिन्दुस्तान की रोमांस की भाषा भी कही जा सकती हैं, जिसे मैं भारत का मध्ययुग कह सकता हूँ उससे संबंधित महत्त्वपूर्ण पद्यात्मक विवरण हैं। उनके महत्त्व का अनुमान बारहवीं शताब्दी में लिखित चन्द के काव्य, जिससे कर्नल टॉड ने 'ऐनल्स ऑव राजस्थान'[२] की सामग्री ली, और सत्रहवीं शताब्दी के प्रारंभ में लिखित लाल कवि कृत बुन्देलों का इतिहास रचना से, जिससे मेजर पोग्सन (Pogson) ने हमें परिचित कराया था, लगाया जा सकता है। यदि यूरोपीय अब तक ऐसी बहुत कम रचनाओं से परिचित रहे हैं, तो इसका यह तात्पर्य नहीं कि वे और हैं ही नहीं। प्रसिद्ध अँगरेज़ विद्वान् जिसे मैंने अभी उद्धृत किया है हमें विश्वास दिलाता है कि इस