पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३३२

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बिन चन्द बनर्जी ( बाबू ) [ १७७ बिन चन्द बनर्जी (बाबू) एक हिन्दू हैं जिनके संरक्षण में गणित सार ' अर्थात् गणित सम्बन्धी पुस्तक के दूसरे और तीसरे भाग १८६३ में लाहौर से प्रकाशित हुए हैं, १६८ और १५० अठपेजी पृष्ठ 1 पहला भाग पं० अयोध्याप्रसाद की देखरेख में मुद्रित हुआ है । बिल्व' मंगल धार्मिक भजनों और मंगलाचरण, जो, मेरे विचार से, कधि तारों का संग्रह है, के रचयिताएक अत्यंत प्रसिद्ध हिन्दू सम्त हैं। 'भक्तमाल' में उनका उल्लेख इस प्रकार है। छप्रय कृष्ण कुश को पर प्रगट ब्रिल्वमंगल मंगल के स्वरूप । करुणामृत सुकबिंत उक्ति अनुविट उचारी ।। रसिक जननि जीवनि हृदय जै ह रावलि धारी । हरि पकयो हाथ बहुरि तहूँ लियो फुटाई । कहा भयो कर छूटें बदौ तौ हिये ले जाई । चिंतामणि* संग पाइ के ब्रज वधू लि बरणी अग्रन्प । कृष्ण कृपा को पर प्रगट बिल्वमंगल मंगल स्वरूप । '.. . भा० Aegle Marnelos को विल्व कहते हैं। २. मंगलसूचक नियम, रचयिता के नाम से संबंधित । 3. कवि ने ऐसा इसलिए क्यक्त किया है क्योंकि उल्लिखित संत इस ग्रह का नाम धारण किए हुए है। ४. अर्थात् मेरे विचार से, प्रभु की भावना से पूर्ण व्यक्ति ही उनकी कविताओं का महत्व समझ सकते हैं। - यह एक अद्भत पत्थर का नाम है जिससे, अल्लादीम के चिराग की भाँ त, इच्छित वस्तु प्राप्त होती हैं । यहाँ यदु शब्द उस स्त्री के नाम से संबंधित है। जिसका उल्लेख नोचे किया गया है । फा७---१२