पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३४९

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१४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास वैद्यक संबंधी दर्पण-शीर्षक वैद्यक-संबंधी एक हिन्दी ग्रंथ के रचयिता हैं। भतृहरि ये ब्रजभाषा भजनों के रचयिता हैं जिन्हें भारतीय जोगियों का एक वर्ग गाता है जिसे 'सारिंगीहार' कहते हैं क्योंकि वे अपने गाने गाते समय सारिंगी’ नामक एक प्रकार की बीणा का प्रयोग करते हैं, " जो उसका संबंध संस्थापक से जोड़ते हैं। और फलतः अपने को भरथरीकहते भी हैं । क्या यहू भारतीय कधि वही है जो बिक्रमाजीत (विक्रमादित्य) का भाई भतृहरि है जिससे हमेंअन्य बातों के अतिरिक्त, बोह लेन ( Bahlen ) द्वारा प्रकाशित प्रसिद्ध उक्तियों का एक संग्रह मिला है । ऐसी हालत में उनके द्वारा रचित हिन्दुई छन्द अत्यन्त प्राचीन होने चाहिए। जो अधिक संभव बात है वह यह है कि हिन्दू भतृहरि और राग सागर में प्रकाशित लोकप्रिय गीतों और आई॰ रॉब्सन द्वारा अपने सेलेक्शन ऑव ख़ियाल्स और मेरवाड़ी प्लेज' ( Sclection of Khiyals or Merwari plays) में प्रकाशित एक सियाल' के रचयिता भरतरी एक ही हैं। भवानन्द दास हिन्दी में वेदान्त नामक दार्शनिक प्रणाली की व्याख्या करने वाले लेखक इस ‘अमृतधार’, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘अमृत १ ‘हिन्दुओं के धार्मिक संप्रदाय की रूपरेखा’ ( ‘एशियाटिक रिंगचेंज, जिल्द १७, पृ० १३३) ' वही 3 मैकेज लौग’, जि० २, ५० १०८