पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३८६

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रसरग [ २३१ अ ' जानने वालों के लिए और हिन्दू शैली में, तथा फारसी अक्षर जानने वालों के लिए और मुसलमान शैली में । अब यह केवल हिन्दी और देवनागरी अक्षरों में प्रकाशित होता है। वह खूबसूरती के साथ लिखा जाता है, और अँगरेज सरकार का सच्चा सहायक है । उसमें केवल समाचार ही नहीं रहतेवरन् आलोचनात्मक लेख भी रहते हैं. और अन्य देशी पत्रों की अपेक्षा उसका साहित्यिक और वैज्ञानिक मूल्य उसकी अपनी विशेषता है । १८५३ में, अन्य के अतिरिक्त, उसमें पारस्परिक सहायता, सामान्य , चन्द्रमा का पशु, और वनस्पति जगत पर प्रभाव पर लेख और शेक्सपियर कृत ‘Midsummer hight's ireadशीर्षक नाटक का अनुवाद प्रकाशित हुआ है । शैली और प्रकार की दृष्टि से बह बनारस के बनारस अस बार' शीर्षक हिन्दुस्तानी के अन्य पत्र की अपेक्षा उच्च कोटि का है; किन्तु वह संस्कृत शब्दों से सिंचित कठिन हिन्दी में निकलता है, जिससे उसका प्रचार हिन्दू साहिख्यिकों तक ही सीमित है। वृन्दावन ने, बनारस के राजा के लिए १८५४ में, सुधाकर छापे खाने से, एक ‘जानकी बंध-सीता का विवाह शीर्ष एक हिन्दी , और दूसरा काव्य-संबंधी श्रृंगारसंग्रह' शीर्षक ग्रंथ प्रकाशित कि या है । र सरम तानसेन की भाँति, संगीतज्ञ और कवि थे। उनके प्रसिद्ध नाम का उल्लेख राजकुमार के गवैए के रूप में कामरूपकी कथा में हुआ है, जो उसकी सिंहलयात्रा में उसके साथियों में से थे । राग कप द्रम' के रचयिता ने रसरंग का भारत में लोकप्रिय गीतों के प्रधान रचयिताओं में उल्लेख किया है, और डब्ल्यू प्राइस ने उनकी कई कविताओं से परिचित कराया है । १ भा० ‘रस का रंग