पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३९४

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रामदास मिश्र ( स्वामी नायक ) [ २३६, २ - ‘गणित सार-—गणित का सार के उर्दू ‘जुबूटतुलु हिसाब (Zublat alhicab ) का हिन्दीअनुवाद, आर स्वर्गीय मेजर लर (Fuller) को आज्ञा से १८६३ में लाहौर से प्रकाशितचार आपंजी भागों में ; ३. ‘गरिणत प्रकाश’ गणित का प्रकाश के, ७२ आठवेजी पृष्ठ, १८६८ में लाहौर से ही प्रकाशित प्राथमिक गणित ; ४. 'लायघा पहलाप्रथम नियम स्कूल जाने वाली छोटी लड़कियों के लाभार्थ३६ पृष्ठों की कोढइ नूर' छापेस्तानेलाहौर, से मुद्रित हिन्दुस्तानी पुस्तिका । रामदास' मिश्र ( स्वामी नायक ) सूरिया ( Striya ) जी, जिनकी, पली राना बाई सूरिया जी थीं, के पुत्र, जिनका नाम पहले नारायण था, किन्तु रामभक्ति के कारण उन्हें रामदास नाम मिला । वे लोकप्रिय गीतों के रचयिता हैं, और निस्संदेह वह हैं जो सिक्खों के चौथे गुरु नानक के तीसरे उत्तराधिकारी हैं । जैसा कि पीछे 'अर्जुन' लेख में देखा गया है, उनकी कुछ धार्मिक कविताएँ आदि ग्रन्य में हैं । गुरु रामदास सिक्खों, के ‘सोधी’ ( odhi ) नामक विशेष संप्रदाय के संस्थापक हैं, जिसमें बेदी (Bedi), तीहौस (Tihaus) और भल्ले (Bhalleh) संप्रायों की भाँति क्षत्रिय हैं । चमारों की अलग जाति के सिक्खों के एक दूसरे संप्रदाय या संस्था ने राम दास को अपने गुरु रूप में स्वीकार किया है और फलतः वे अपने को ‘राम दासी कहते हैं । उनकी ये रचनाएँ कहीं जाती हैं। : १ मा० ‘राम का दास’