पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
[१५
भूमिका

मैं वे नई सूचनाएँ दूँगा जो मुझे पहली जिल्द की छपाई के दौरान और उसके बाद मिलेंगी।[१]

मुझे एक कर्तव्य पूर्ण करना शेष रह जाता है, वह है ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की पूर्वी-ग्रन्थ-अनुवाद समिति (Committee of Oriental Translations) के माननीय सदस्यों, और विशेषतः उनके आदरणीय सभापति, सर गोर आउज़्‌ले (Sir Gore Ouseley), को धन्यवाद देना है, जिन्होंने, एक बड़े दान द्वारा, एक ऐसे ग्रन्थ के प्रकाशन को प्रोत्साहन दिया जिसके लिए नियम अनुकूल नहीं थे। उन्होंने एक ऐसे ग्रन्थ के प्रकाशन के साधन की सुविधाएँ भी मुझे प्रदान की हैं जिसमें नए तथ्य प्रकट किए गए हैं जो सम्भवतः उनकी व्यापक सहायता के बिना अभी बहुत दिनों तक उपेक्षित पड़े रहते।

ऑरिएंटल ट्रान्सलेशन फ़ंड के नियमों की ३३ वीं (xxxiii) धारा के अनुसार मैंने जो हिज्जे ग्रहण किए हैं उनके बारे में बताना आवश्यक है। ये हिज्जे वही हैं जो 'Aventures de Kâmrûp' (कामरूप की साहसपूर्ण कथा) में रखे गए हैं, और जिन्हें मैंने, प्रस्तुत ग्रंथ की भाँति, पूर्वी-ग्रंथ-अनुवाद समिति के तत्वावधान में मुद्रित उक्त ग्रन्थ की भूमिका में विकसित किया है।

मैं यह आत्मश्लाघा करने का साहस करता हूँ कि इसमें त्रुटियों के मिलने पर भी[२] साहित्यिक अध्ययनों का आदर करने वाले मेरे ग्रंथ को प्रसन्नता के साथ पढ़ेंगे; और इस सम्बन्ध में वली के साथ कहने की आज्ञा देंगे:


  1. कुछ शुद्धियों और अनेक नई बातों सहित, मुझे इस जिल्द के अंत में ही दे देनी चाहिए थी; किन्तु इसे बहुत बड़ी न बनाने के सवाल से मैं उन्हें दूसरी जिल्द में दूँगा।
  2. अन्य के अतिरिक्त, व्यक्तिवाचक नामों के संबंध में, पूरा ध्यान देने पर भी असावधानी से काफ़ी अनिश्चितता रह गई है। मैं पाठकों की विद्वत्ता पर छोड़ता हूँ कि वे उन्हें ठीक कर लेंगे।