पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४२९

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२७४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास २. ‘पहाड़े की किताब’ या पहाड़े की पुस्तक -प्राथमिक पाठ्द पुश्तक, और गणित में आगरा, १८६८, १६ बारहपेजी पृष्ठ ; ३. सिंल की ‘Elements of Political Economyके, दिल्ली से ही मुद्रित । . वरदास वैष्णब महाराजों की ‘बंशावली’ ('श्री गोस्वामी महाराजानी') के रचयिता हैं; बंबई१८६८, २४ सोलहपेजी पृष्ठ । वगैराय, ‘गोपाचलकथा’ के रचयिता, शाब्दिक अर्थगउओं की भूमि की कथाअर्थात्आगरा प्रान्त में भारत के प्रसिद्ध नगर, ग्वालियर, जिसके १००८ ईसवी वर्ष से अपने राजा हुएकी कथा । ११६७ में उसे मुसलमानों ने ले लिया था, किन्तु हिन्दू फिर से उसके मालिक बन गए । बाद को, १२२५ में, दिल्ली के पठान सुल्तान, अल्तमश, ने उस पर विजय प्राप्त की । बर्गराय की नागरी अक्षरों में लिखित इस रचना की एक प्रति राजकीय पुस्तकालय के औद पोलिए (fonds Polier) की हस्तलिखित प्रतियों में पाई जाती है । हिन्दी और संस्कृत की सभी रचनाओं की भाँति, वह पद्यों में लिखी हुई है । बली मुहम्मद ( मीर ) संभवतः मुसलमान हो गए हिन्दू हैं, और जिन्होंने, जब वे हिन्दू थे, कृष्णु परहिन्दी में, दो कविताएँ लिखीं जिनका संपादन राम सरूप द्वारा हुआ है। १, ‘श्री कृष्ण की जनमलीला कृष्ण के बाल्यकाल की क्रीड़ाएँ : फतहगढ़, १८६८, १३ पृष्ठ ; ५ भा० अथवा ब्रजदास'ब्रज के पवित्र प्रदेश का दास २ भा० वर्गरायपुस्तक का राजा 3 अ० ‘मुहम्मद का दोस्त'