पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४४७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२६२ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास । - ऐसे शैव बहुत कम हैं जिन्होंने, हिन्दी या हिन्दुई में लिखा है । उन्होंने, परंपरा के अनुसार, पवित्र भाषा में ही लिखना पसन्द किया है । शंभु चन्द्र मकर जी नामक एक और सामयिक लेखक हुए हैं, जिन्होंने भूपाल की रानीबेगम सिकन्दरा, जिनका हाल ही में देहान्त हुआ है, की जीवनी पर (हालात-इ जिंदगी) एक ‘रिसाला’ लिखा है; कलकत्ता, १८३७ ।’ शाद ( राजा दुगप्रसाद ) अजीमाबाद ( पटना ) के रईस.....( उर्दू रचनाएँ ).. वे संपादक हैं: १. पंचरत्न' पाँच रन-अर्थात् हिन्दी रामायण के रचयिता तुलसी दास की पाँच कविताओंके ; बनारस में लीथो में मुद्रित१८६४, ६४ अटंपेजी पृष्ठ ; २. लाल चंद्रिका के, लाल कवि द्वारा बिहारी छत 'सतसई’ पर टोका। ; ३. ‘सिंहासन बत्तीसी' की कथाओं के एक सचित्र उर्दू संस्करण के, २७ छोटे चौपेजी पृष्ठ के आगरा१८६२जो संस्करण मुरैशी किशन लाल की देखरेख में हुआ है । मेरे विचार से उसके अन्य संस्करण भी हैं। शिव चन्द्र नाथ ( बाबू ) पहले मेरठ के ‘जाम-इ जमशेद'—जमशेद का प्याला—नामक एक छापेस्वानेसाथ ही इसी नाम के और इसी छापेखाने में छपते बाले एक उर्दू पत्र के, जिसका १८५३ में निकलना बन्द हो गया संचालक थे । १ अलगढ़ का १ लो अक्तूबर, १८६८ का अखधार", १८६ का मेरा भापण भी देखिए, ३० ६।