पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४५४

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श्याम लात [ २६ ४. ‘फाजिल अली प्रकाश'-फाजिल अली का इतिहास- जिसकी एक हस्तलिखित प्रति केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के किंग्स कॉलेज में है । ' श्याम लाल’ योग वाशिष्ठ या योग बशिष्ठ3—परोक्ष को देखने की सर्वोच्च शक्ति-शीर्षक, तथा १८६८ में एक हज़ार अठपेजी पृष्ठों में कानपुर से मुद्रितप्रसिद्ध संस्कृत रचना के फारसीतथा उर्दू से मिलते जुलतेअक्षरों में माखा ( हिन्दी ) अनुवाद के रचयिता हैं । इस रचना में, जो पहलेपहल दारा शिकोह की झाझा से फारसी में अनूदित हुई तत्पश्चात भाखा और उर्दू में, प्रश्नोत्तरी रूप में, ध्यान लगाने और परमात्मा से आध्यात्मिक योग स्थापित करने की विधि बताई गई है । श्यामसुन्दर* हिन्दी के एक ग्रंथकार हैं जिनके केवल नाम का मैं उल्लेख कर सकता हूँ। श्री किशन' आगरे से प्रकाशित तथा पाप मोचन-पाप से मुक्ति शीर्षक एक पाक्षिक हिन्दी पत्र के संपादक हैं। यह पत्र मुंशी ज्वाला के . 3 ई० एच० पामर (almer) कृत इस पुस्तकालय की हस्तलिखित प्रतियों को सुचो देखिए, ‘जर्नल रॉयल पशियाकि सोसायटी , जि० ३, भाग १० नवीन सीरीज । २ भा० ‘प्यारे कृष्ण’ 3 श्री केम्पसन ( Kempson ) की २० फ़रवरी१८६द की रिपोर्ट ४ भा० ‘मुन्दर लगने वाला श्याम' अर्थात, ‘ण’ ५ मा० "देवता कृष्ण'