पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४७२

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सुदामा [ ३१७ सुदामा का स्वर्गीय एच० एच० विल्सन ने उन पबित्र कवियों में उल्लेख किया है जिनकी रचनाएँ सिक्खों के ‘श प्रथनामक ग्रन्थ में संग्रहकर्ताओं द्वारा संयहीत की गई हैं। यह संग्रह बनारस के ‘सिक्ख संगत' नामक उपासनागह में सावधानी के साथ सुरक्षित है। सुदामा जी, १७८६ शक संवत् (१८६४) में आागरे से प्रकाशित सात हिन्दी कविताओं के अत्यन्त छोटे चपेजी, संग्रह में सुदामा जी कृत ‘सुदामा जी की बाराबड़ी’ ( अथवा भारतीय बर्णमाला के बारह स्वरों की व्याख्या) पाई जाती है, दो भागों में, प्रत्येक के आठ पृष्ठ, आगरा १८६५, ‘Tales of Sudama’ नामक अँगरेजी शीर्षक के अंतर्गतआगरा से, १८६४ में, अलग मुद्रित । अन्य रचनाओं के शीर्षक इस प्रकार हैं : ‘सूर्य पुराणसूर्य का पुण्ण ; गणेश पुराण--( बुद्धि के देवता ) गणेश का पुराण के स्नेह लीला’ प्रेम की लीला ; दान लीला'—दान की लीला ( कृष्णक्रीड़ा ) १६ पृष्ठ ; करुणा बत्तीसी' - करुणा संबंधी बत्तीस दोहे ; नरसी मेहता की हंडी hundi ) नरसी मेहता का मिट्टी ( का पात्र ! १ भा० ‘इन्द्र के हाथ था का नाम’ और प्रेम सागर’ में वर्णित एक रोचक बथा का रिद्र ब्राह्मण नायक २ ‘जो' या ‘यू’ भारतीय शब्द है जिनका अर्थ है आत्माऔर जो व्यक्ति बालक नामों के पीछे ‘साहिब’ की प्रति आदरसूचक उपाधि के रूप में लगाए .. आते हैं और जो अँगरेजों Es" ( Esquire ) के बराबर है। ३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।


३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।