पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४७५

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३२० ] हिंदुई साहित्य का इतिहास मेरे निजी संग्रह में हिन्दी छन्दों और फारसी अक्षरों में एक सिंहासन बत्तीसी’ है, १५१५ पंक्तियों के १२० छोटे चौपेजी पृष्ठ! हिन्दी के आ/धार पर ही बैंगला में ‘बत्रिश सिंहासन' शीर्षक के अंतर्गत अनुवाद हुआ है ।१ यह ज्ञात है कि इस संग्रह में संग्रहीत कहानियों का उद्देश्य हिन्दुओं के सुलेमान, बिक्रमाजीत ( विक्रमादित्य ) के सद्गुणों को प्रकाश में लाना, और यह प्रमाणित करना है कि उन गुणों की समता नहीं हो सकी । समयसमय पर किसी साधुकिसी ब्राह्मणकिसी विद्यार्थी, किसी पण्डित, किसी शत्र के प्रति उसकी उदारता , उसका वैराग्य, आदि बातें उसमें मिलती हैं। । मृदन’ कवि - १७४८ में लिखितदो सौ से भी अधिक हिन्दुईकवियों की एक प्रकार की जीवनियों ‘सुजान चरित्र'. —अच्छे व्यक्तियों का विवरण के रचयिता हैं। एक प्रन् हिन्दी का भी यही शीर्षक है और जिसमें हिन्दी छन्दों में, भरतपुर के वर्तमान राजा के पूर्वज सूरज मल द्वारा सलाबत स्त्राँ तथा अन्य अफ़ गन सामन्तों, के विरुद्ध ठाने गए युद्धों का वर्णन है । यह प्रन्थ राजा की आज्ञा से, १८५२ में भरत पुर सफदरी प्रेस’ से छप चुका है। । मुर या सूरदास४ मथुरा के प्रसिद्ध त्राह्माण, कवि और संगीतज्ञ, बाबा रामदास, १ दे॰, 8 लौंग ( Long ) कैटेग व बेंगाली ब्रुक्स, ० १० २ भा० ‘, अच्छा लगने वाला’ 3 इया यह ‘सुजान हज़ाराही तो नहीं हैं ? ४ भा० सूर ( सूर्य ) का दास ’ ३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।


३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।