पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/५०२

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परिशिष्ट १ f ३४७ मूल सूत्र' ( प्रारंभिक नियम, रो Rowe) कृत हिन्दी स्पेलिंग की पुस्तक । प्रथम संस्करण कलकत्ता, १८२०, अठपेजी। वही, द्वितीय संस्करण, अठपेजी - कलकत्ता, १८२३ । फ़ारसी अक्षरों में, स्कूलबुक सोसायटी के खर्च से, कलकते से प्रकाशितएक हिन्दुस्तानी स्पेलिंग की पुस्तक और है । ७मृगावती चौपई। भाषण में लिखित जैन कथा और श्री विल्सन द्वारा अपने ‘मैग्वायर ऑन दि हिन्दू सेक्स’ (हिन्दू संप्रदायों का विवरण), ‘एशियाटिक रिसज़की जि० १७२ २४५ । मेथड्स व ट्रीटमेंट फॉर दि रि कवरी ऑब पर्सन्स डेड1( स्मृत पुरुषों को जीवित करने के इलाज के नियम) ;डॉ० गिलक्राइस्ट' द्वारा हिन्दुस्तानी में अनूदित, और टी० मायर्स ( T. Myers ) द्वारा फ़ारसी तथा नागरी अ क्षरों में लिखित में लंदन ,१८२६। दू¢योग वसिष्ट’ । मैकेन्जी संग्रह में हिन्दी की हस्तलिखित पोथी। यह वेदान्त दर्शन के सिद्धान्तों पर एक रचना है जिसमें राम वसिष्ठ, विश्वामित्र तथा अन्य ऋषियों के साथ वार्तालाप द्वारा भौतिक सत्ता की आबा स्तविकताकर्म और भक्ति के गुणों, औौर आत्मा की श्रेष्ठता पर विश्वार करते हैं। यह रचना छतीस मागों में है । संस्कृत से इसका अनुवाद हुआ है । (विल्सन, ‘ए डेस्क्रिटिश कैलौग श्रव मैकेन्जी कलेक्शन', जि०२४० १०६ ) रन चुर मुनि, मुनि रन चुर । १ इस शोषक का अर्थ सुगातो की अर्थात् मुंगावत पर चैपई या चार में क्यों का छन्द प्रतीत होता है।