पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/५०३

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३४८ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास जैन कथा पर भाषा में चौपई ( ‘एशि० रिस०, जि० १६, ५० २४५)।

  • ‘रसिक विद्या’ ( फ़ारसी लिपि )।

'रसिक, जो विशेषतः प्रेमसंबंधी मामलों में गुप्त विचारों और क्रियाओं के जानने को कला है, पर हिन्दी रचना। उसका नाम ‘पोथी रसिक बिया' भी है । फ़रज़ाद के पुस्तकालय की हस्तलिखित पोथी । अ¥राम विनोद’। वैष्णवों का ग्रन्थ, जिसकी एक प्रति श्री प्रोफेसर विल्सन के पास अपने निजी संग्रह में है । 'रोगांतक सार, अर्थात् सत्तम दवाइयाँ । यह फ़ोर्नेस ( Andrf Forbes ) द्वारा प्रकाशितहिन्दु स्तान में, मेटीरिया मेडिका । कलकता , १८११, अठभेजी।

  • बसन्त राजा’ ।

जैपुर की बोली में रचना, वॉर्ड द्वारा उलिखित, डिस्ट्री लिट्रेचर, एोटरा आंव दि हिन्दूज’ (हिन्दुओं का इतिहास, साहित्य, यादि ), जि ० २, ३० ४८१ । ‘वाणी भूषण। कनौज की बोलो में रचना, वॉर्ड द्वारा उल्लिखित, ‘हिस्ट्री, लिट्टेरेचर एसीटरा गाँव दि हिन्दू ' ( ‘हिन्दुओं का इतिहास, साहित्य, आदि), जि० २, ७० ४८२ । &‘त्रिशत् कर्म कथा'। इस शीर्षक का आाशय बत्तीस कम की कथा' प्रतीत होता है । यह जैन धर्म-संबंधी भाषा में एक रचना है (“एशि० रिस०२जि० १७, २० २४४ )।