पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/५३२

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परिशिस्ट २

स्त्री उपदेश' - स्त्रियों से संबंधित उपदेश, पं० सीता राम द्वारा

कथोपकथन।- बुलंदशहर, १८६५, १६ ० ।

- जे० लौग, कैटैलोग ४०

स्त्री शिक्षा - स्त्रियों की शिक्षा, बनारस के, पं० राम जस कृत ।

बरेली, १८६५, ३६ ४० ।

उत्तर - पश्चिम प्रदेश की सार्वजनिक शिक्षा समिति द्वारा

प्रकाशित हिन्दी रचना ।

हनुमान नाटक - हनुमान का नाटक, राग सागर द्वारा उल्लिखित

हिन्दी में ।

इसी विषय का संस्कृत नाटक एच० एच० बिल्सन द्वारा

अनूदित हिन्दू थिएटर के अंशों में है ।

हरिवंश पुराण, लाल जी द्वारा, संस्कृत पुराण का हिन्दी पग्द्यों में

संक्षेप ।- बनारस , १६२६ संवत् (१८६), २५-२५ पंक्तियों के

४६३ अठपेजी पृष्ठ ।

हिन्दी भाषा का व्याकरण’ - भारतीय भाषा का व्याकरण (शरल )

प्रशनोत्तरी के रूप में, युवकों की शिक्षा के लिए हिन्दी व्याक्र

रण)।- कलकत्ता, १८५३, ६८ बारहपेजी पृष्ठ, औौर आगरा

१८५५, ५५ अठपेजी पृष्ठ।

मिशनरी बडेन ( Buden ) की, अँगरेजो से अनूदित ।

'हिन्दुई रीडर, सरल वाक्यों और नैतिक तथा मनोरंजक

कहानियों का संग्रह ' - कलकता, १८३७३ जिल्द, बारह्मपेजी।

६. मिश्रित

‘अष्ट वक्र’-आठ टेढ़े: ब्रज- भाखा में 1-बंबई, ९८६४, ४५२

अठपेजी पृष्ठ ।

‘आनन्द रस'- आनन्द का रस , ग्यारह भागों ( एकादश स्कंध )

में विभाजित रचना ।</section><footer data-mw-proofreadpage-wrapper="">

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