पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/५४९

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परिशिष्ट ७ ( अनुवादक द्वारा जोड़ा गया ) संकर आचार्य से, ईसवी सन् की नीं२ शताब्दी में, नवीनता के प्रवर्तक वैष्णवों के विरुद्ध कट्टर हिन्दुत्व या शैक्मत को शक्ति प्रदान करना चाहा, और संन्यासी ब्राह्मणों का एक मठ स्थापित किया। किन्तु इस प्रसिद्ध व्यक्ति और प्रख्यात संस्कृत लेखक का मैं यहाँ केवल इसलिए उल्लेख कर रहा हूं क्योंकि उसने हिन्दी में भी लिखा प्रतीत होता है । यह ज्ञात है कि अन्य के अतिरिक्त सौ श्रृंगारिक कविताओं का प्रसिद्ध संग्रह अमर शतक उनकी देन है जिसे स्वर्गीय द शेजी ( Ch6zy) ने प्रकाशित और आंशिक रूप में फ्रेंच में अनूदित किया है, और जिसकी कुछ टीकाकारों ने रहस्यवादी अर्थ में व्याख्या की है । उनकी ‘त अबु संदान'-तत्व और अण के १ अथवा ‘शंकर, शिव के नामों में से एक १ किन्तु जे० लौंग‘डेस्क्रिप्टिव कैरैलग, ७० १४, का केवल बारहवीं शताब्दी की ओर झुकाव है। जिस युग में यह प्रसिद्ध हिन्दू रहा उसके बारे में विभिन्न मत है। फोर्ट्सकविसन और राम मोहन राय के अनुसार ईसवो सन् की मवाँ शताब्दी अत्यधिक संभावित तिथि हैं । ट्रॉयर (Toyer), कश्मोर का इतिहास' ( Histore du kachemyrc ), पइली जिन्द, १० ३२७, और पार्वती स्तोत्र, ‘जून संयतोक', १८४१। ४ ‘एशियाटिक रिसर्च’, जि० १०, ० ४१६