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हिंदुई साहित्य का इतिहास

कि इसका विषय सदैव विष्णु से सम्बन्धित रहता है, यह 'डोमरा' की तरह कविता है। कहा जाता है, इसके जन्मदाता सूरदास थे। मथुरा में इसका ख़ास तौर से व्यवहार होता है।

'शब्द' या 'शब्दी', कबीर की कुछ कविताओं का ख़ास नाम।

'सङ्गीत', नृत्य के साथ का गाना।

'सखी', और बहुवचन में 'सख्यां', कबीर की कुछ कविताओं का विशेष नाम। कृष्ण और गोपियों के प्रेम से संबंधित एक गीत को 'सखी सम्बन्ध' कहते हैं।

'समय', कबीर के भजनों का एक दूसरा विशेष नाम।

'साद्रा', ब्रज और ग्वालियर में व्यवहृत गीत, और उसकी तरह जिसे 'कड़खा' कहते हैं।

'सोर्ठा'[१], एक रागिनी और एक विशेष छन्द की छोटी हिन्दुई-कविता का नाम।

'सोह्ला', (Sohlâ)। यह शब्द, जिसका अर्थ 'उत्सव' है, उत्सवों और ख़ुशियों, और ख़ास तौर से विवाहों में गाई जाने वाली कविताओं को प्रकट करने के लिए भी होता है। विलर्ड (Willard) ने हिन्दुस्तान के संगीत पर अपनी रोचक रचना में इस गीत का उल्लेख किया है, पृ॰ ९३।

'स्तुति', प्रशंसा का गीत।

'हिण्डोल'––escarpolette (झूला), इस विषय का वर्णनात्मक गीत, जिसे भारतीय नारियाँ अपनी सहेलियों को झुलाते समय गाती हैं।

'होली' या 'होरी'। यह एक भारतीय उत्सव है जिसका उल्लेख मेरे


  1. वह शब्द संस्कृत 'सौराष्ट्र' (Surate) से निकला है, जो उस प्रदेश का नाम है जहाँ इसी नाम के गाँव का प्रयोग होता है।