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द्वितीय संस्करण की पहली जिल्द (१८७०) से
प्रस्तावना

इस रचना का प्रथम संस्करण, जो ग्रेट-ब्रिटेन और आयरलैंड की रॉयल एशियाटिक सोसायटी की अनुवाद-समिति के प्रकाशनों का एक भाग था, जिसका नंबर ५७ है, और जो इँगलैंड की सम्राज्ञी को उनकी आज्ञा लेकर समर्पित है, बहुत दिनों से समाप्त हो गया है। पहली जिल्द १८३९ में प्रकाशित हुई थी, और क्योंकि दूसरी जिल्द १८४६ तक प्रकाशित न हो सकी, उस समय तक मेरे पास बहुत-सी नई सूचनाओं का संग्रह हो गया था जिससे मैंने एक अतिरिक्त जिल्द प्रकाशित करने की सोची जिसकी घोषणा मैंने उस समय की थी। समय बीतता गया और सूचनाएँ इकट्ठी होती गईं। भारत के आधुनिक साहित्य के प्रेमियों ने बहुत दिनों से एक नया संस्करण प्रकाशित करने के लिए मेरा ध्यान आकृष्ट कर रखा था, और अंत में, विशेषतः एक प्रिय और घनिष्ठ भाई के प्रोत्साहन से, मैंने उसे प्रकाशित करने का निश्चय किया है।

भूमिका में हिन्दुई और हिन्दुस्तानी साहित्य के निर्माण और विकास की ऐतिहासिक रूपरेखा दे देने के बाद, उसकी रचना करने वाले लेखकों को श्रेणियों और उनकी रचनाओं के प्रकारों की ओर संकेत करने के बाद, मैंने अपनी सूचनाओं के मूल उद्‌गमों का उल्लेख किया है; किन्तु मुझे खेद है कि मैं एक तज़्‌किरा का प्रयोग नहीं कर सका जो मुझे भूमिका के छप जाने के बाद, प्राप्त हुआ था, और महिला