पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।

[घ]

ग्रन्थ में से हिन्दुई से संबंधित अंश का सर्वप्रथम अनुवाद है। उनके इस ग्रन्थ का पूर्ण या आंशिक अनुवाद न तो अँगरेजी में है और न अन्य किसी भारतीय भाषा में।

तासी कृत 'इस्त्वार' के दो संस्करण हैं। प्रथम संस्करण दो जिल्दों में, क्रमशः १८३९ और १८४७ में, ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की ऑरिएंटल ट्रान्सलेशन कमिटी की अध्यक्षता में प्रकाशित हुआ। ऑरिएंटल ट्रान्सलेशन फ़ंड की स्थापना लंदन में १८२८ में हिज़ मोस्ट ग्रेशस मेजेस्टी विलियम चतुर्थ के संरक्षण में हुई थी। जिस समय प्रथम संस्करण की प्रथम जिल्द प्रकाशित हुई उस समय सर जी॰ टी॰ स्टौन्‌टन (Staunton), बार्ट॰, एम॰ पी॰, एफ़॰ आर॰ एस॰; रॉयल एशियाटिक सोसायटी के उप-सभापति ऑरिएंटल ट्रान्सलेशन कमिटी के उप-प्रधान सभापति थे। उन्होंने ऑरिएंटल ट्रान्सलेशन फ़ंड में रुपया भी दिया था। पहली और दूसरी दोनों जिल्दें श्री ल गार्द दैं सो (M. le Garde des Sceaux) की आज्ञा से फ़्रांस के राजकीय मुद्रणालय में छपी थीं और लंदन तथा पेरिस दोनों नगरों में बिक्री के लिए रखी गई थीं। प्रथम संस्करण की पहली जिल्द के मुख्यांश में भूमिका के बाद हिन्दी और उर्दू के सात सो अड़तीस (७३८) कवियों और लेखकों की जीवनियाँ और ग्रंथों का उल्लेख है। अंत में परिशिष्ट और लेखकों तथा ग्रन्थों की अनुक्रमणिकाएँ अलग हैं। उसमें कुल मिला कर XVI और ६३० पृष्ठ हैं। प्रथम संस्करण की दूसरी जिल्द में उद्धरण और विश्लेषण हैं। भूमिका के पश्चात् प्रारम्भ में कबीर, पीपा, मीराबाई, तुलसीदास, बिल्व-मंगल, पृथीराज, मधुकर साह, अग्रदास, शंकराचार्य, नामदेउ, जयदेव, रैदास, राँका और बाँका, माधोदास, रूप और सनातन से संबंधित प्रसिद्ध 'भक्तमाल' से फ़्रेंच में अनूदित विवरण उद्धृत हैं। तत्पश्चात् तासी ने बाइबिल की कथाओं से तुलना करते हुए और ईश्वरावतार, गोप-गोपियों,