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भूमिका


'भक्त मार्ग', शब्दशः, भक्तों का रास्ता, कृष्ण-संबंधी भजन के एक विशेष प्रकार का नाम।[१]

'भठ्याल', मुसलमानों के 'मरसिया' के अनुकरण पर एक प्रकार का हिन्दुई विलाप।

'भोजड़्ग', या 'भुजड़्ग', कविता जिसे टॉड[२]ने 'lengthened serpentine couplet' कहा है।


'मड़्गल' या 'मड़्गलाचार', उत्सवों और खुशियों के समय गाई जाने वाली छोटी कविता। बधवे का, विवाह का गीत।

'मलार', एक रगिंनी, और वर्षा ऋतु, जो भारत में प्रेम का समय भी है, की एक छोटी वर्णनात्मक कविता का नाम।

'मुक्री', एक प्रकार की पहेली जिसमें एक सी के मुख से दो अर्थ वाला शब्द कहलाया जाता हैजिसे बह कहतीं एक अर्थ में है और उसके साथ बातचीत करने वाला उसे समझता दूसरे अर्थ में है।[३]

'रमैनी', सारगर्मित कविता। इस शीर्षक की कविताओं की एक बहुत बड़ी संख्या कवीर की काव्य-रचनाओं में पाई जाती है।

'रसादिक', अर्थात् रसों का संकेत। यह चार पंक्तियों की एक छोटी श्रृंगारिक कविता है; यह शीर्धक बहुत-से लोकप्रिय गीतों का होता है।

'राग', हिन्दुओं के प्रधान संगीत-रूपों और मुसलमानों की ग़ज़ल से मिलती-जुलती एक कविता का नाम, और जिसे 'राग पद'— राग संबंधी कविता—भी कहते हैं। अन्य के अतिरिक्त सूरदास में उसके उदाहरण मिलते हैं।

  1. ब्राउटन, पॉप्युलर पोयट्रो ऑब दि हिन्दूज़', पृ० ७८
  2. 'एशियाटिक जर्नल, अक्तूबर १८४०, पृ० १२९
  3. मेरी ‘रुदोमाँ के ल लाँग सेंदूस्तानो’ (हिन्दुलानों भाषा के प्राथमिक सिद्धान्त) के प्रथम संस्करण की भूमिका मैं उसका एक उदाहरण देखिए, पृ० २३ ।