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भूमिका


'सोरठ',[१]एक रागिनी और एक विशेष छन्द की छोटी हिदुई-कविता का नाम।

'सोह्ला', (Sohla)। यह शब्द, जिसका अर्थ 'उत्सव' है, उत्सवों और खुशियों, और ख़ास तौर से विवाहों में गाई जाने वाली कविताओं को प्रकट करने के लिए भी होता है। विलर्ड (Willard) ने हिन्दुस्तान के संगीत पर अपनी रोचक रचना में इस गीत का उल्लेख किया है, पृ० ९३ ।

'स्तुति', प्रशंसा का गीत।

'हिणडोल'—escarpolette (झूला), इस विषय का वर्णनात्मक गीत, जिसे भारतीय नारियाँ अपनी सहेलियों को भुलाते समय गाती हैं।

'होली’ या 'होरी'। यह एक भारतीय उत्सव है जिसका उल्लेख मेरे 'भारत के लोकप्रिय उत्सवों का विवरण'[२] में देखा जा सकता है। यही नाम उन गीतों को भी दिया जाता है जो इस समय मुने जाते हैं- गाने जिसका एक सुन्दर उदाहरण पहली जिल्द, पृ० ५४९ में है। 'होली' नाम का गीत प्राय: केवल दो पंक्तियों का होता है, जिसमें से अंतिम पंक्ति उसी चरणार्द्ध से समाप्त होती है जिससे कविता प्रारंभ होती है। लोकप्रिय गीतों में उसके उदाहरण मिलेंगे।

अब, यदि ब्राह्मणकालीन भारत को छोड़ दिया जाय, और मुसलमान- कालीन भारत की ओर अपना ध्यान दिया जाय तो मुसलमान काव्य- शास्त्रियों के अनुसार,[३]सर्वोप्रथम दम हिन्दुस्तानी काव्य-रचनाओं, उर्दू और दक्खिनी दोनों, को सात प्रधान भागों में विभाजित कर सकते हैं।

  1. यह शब्द संस्कृत 'सौराष्ट्र' (Surate) से निकला हैं, जो उस प्रदेश का नाम है जहाँ इसी नाम के गीत का प्रयोग होता है।
  2. 'जूर्ना एसियातीक', वर्ष १८३४
  3. इस विभाजन का, जो 'हमासा' का है,विस्तार डब्ल्यू॰ जोन्स कृत 'Poeseos Asiaticae commentarii' में मिलता है।