पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१००

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(६६) संबंध है। जब मगध के राजा की ओर से भेजा हुआ उसका महामंत्री महात्मा बुद्ध से इस विषय में परामर्श लेने गया था कि वजियों (पाणिनि के वृजियों), लिच्छवियों और विदेहों पर आक्रमण करना चाहिए या नहीं, तब बुद्ध ने मगध से आए हुए महामंत्री को नहीं बल्कि अपने सर्वप्रधान शिष्य को संबोधन करके यह उत्तर दिया था हे आनंद, तुमने सुना है कि वज्जि लोग पूरी, भरी हुई और बहुत जल्दो जल्दी सभाएं करते हैं। आनंद ने इसके उत्तर मे कहा-हाँ। बुद्ध ने मगध से आए हुए महामंत्री को सुनाने के उद्देश्य से वज्जियों की शासन-प्रणाली के संबंध में इसी प्रकार के सात प्रश्न किए। इस संबंध मे बुद्ध का जो कुछ कथन था, वह स्वयं उन्हों के शब्दों में यहाँ दिया जाता है। १. हे आनंद, जब तक वजि लोग पूरी पूरी और जल्दो जल्दी सभाएं करते हैं; २. जब तक वे लोग एकमत होकर मिलते हैं और एक साथ मिलकर उन्नति करते हैं और वज्जियों का कार्य ( वज्जोकरणीयानि अर्थात् वजियों के राजकार्य) एकमत होकर करते हैं; ३. जब तक वे कोई ऐसा नियम नही बनाते हैं जो पहले से नहीं चला आता है, जब तक वे किसी निश्चित

- इन सब का विवरण जानने के लिये आगे की पंक्तियाँ देखो।