पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१०१

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( ७० ) नियम का उल्लंघन नहीं करते हैं और जब तक वे वन्जियों की प्राचीन काल की स्थापित पुरानी संस्थाओं के अनुकूल कार्य करते हैं। ४. जब तक वे लोग वजि वृद्धों की प्रतिष्ठा, आदर, भक्ति और सहायता करते हैं और जब तक वे उनकी बातों को सुनना अपना कर्त्तव्य समझते हैं; ५. जब तक वे अपने समाज की स्त्रियों और बालिकाओं को बल प्रयोग करके अथवा भगा लाकर अपने पास नहीं रखते हैं (अर्थात् जब तक उनमें बल प्रयोग नहीं बल्कि कानून की मर्यादा चलती है); ६. जब तक वे वज्जीय चैत्यों की प्रतिष्ठा, प्रादर, भक्ति और सहायता करते हैं (अर्थात् अपने धर्म में दृढ़ निष्ठा रखते हैं); ७. जब तक वे अपने अर्हतों का उचित रक्षण और पालन करते हैं ( अर्थात् मर्यादा का पालन और धर्म का आचरण करते हैं); तब तक वज्जियों के पतन की कभी आशंका नहीं करनी चाहिए, बल्कि हर तरह से उनके उन्नत तथा संपन्न होने की ही आशा करनी चाहिए। यह सुनकर महामंत्री ने धीरे से कहा-तब तो मगध के महाराज वज्जियों पर विजय नहीं प्राप्त कर सकते। अब तो उनमें केवल मतभेद ( मिथुभेद ) उत्पन्न करनेवाली नीति का अवलंबन ही संभव है।