पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/९९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

छठा प्रकरण वौद्ध संघ का प्रजातंत्र से प्रारंभ और बौद्ध साहित्य में प्रजातंत्र (ई० पू० ५००-४००) ६४३. महात्मा बुद्ध का जन्म ऐसे लोगों में हुआ था जो प्रजातंत्र का भोग करते थे। उनके चारों ओर पास पड़ोस में संघ ही थे और वे उन्हीं में पले थे। वौद्ध संघ राजनीतिक उन्होंने जिस वर्ग या समाज की स्थापना संघ से लिया गया है की थी, उसका नाम भिक्षु संघ अथवा भिक्खुओ का प्रजातंत्र रखा था। संभवतः अपने समकालीन आचार्यों के अनुकरण पर उन्होंने अपना धार्मिक संघ स्थापित करने मे राजनीतिक संघ का नाम और साथ ही संघटन या रचना-प्रणाली भी ग्रहण की थी। और यही कारण था जिससे उनका धर्म और भिक्षु-संघटन इतने अधिक दिनों तक चला। पाली सूत्रों मे स्वय बुद्ध के जो शब्द दिए गए हैं, उन्हीं से यह पता चल सकता है कि राजनीतिक तथा धार्मिक संघों के संघटने मे किस प्रकार का और कितना ऐतिहासिक दीघनिकाय, महापरिनिन्धान सुत्तन्त । रहीस डेविड्स का अनुवाद । Dialogues of the Buddha भाग २.पृ० ७६- २५. Sacred Books of the East. भाग ११, पृ० ३-६.