पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१०२

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( ७१ ) ज्यों ही वह महामंत्री भगवान बुद्धदेव से बिदा होकर वहॉ से गया, त्यों ही भगवान ने समस्त भितु-संघको सभामंडप मे बुलाया और उन सब लोगों को संबोधन करके कहा- हे भित्तुओ, मैं तुमको बतलाऊँगा कि किसी समाज के कल्याण के लिये सात बातों की आवश्यकता है। बुद्ध भगवान् ने फिर उन्हीं सातों बातों को कुछ आवश्यक परिवर्तन के साथ दोहराया जो वज्जी लोग किया करते थे, जो सातों बाते' प्रसिद्ध घों और जिनका समर्थन आनंद > ने किया था। १. जब तक भिक्षु लोग पूरी पूरी और जल्दो जल्दी सभाएँ करते हैं; २. जब तक वे लोग एकमत होकर चलते हैं और एक साथ मिलकर उन्नति करते हैं, और एकमत होकर संघ के कर्तव्यों का पालन करते हैं; ३. जब तक भिक्षु लोग कोई ऐसी मर्यादा नहीं खड़ी करेंगे जिसके संबंध मे अभी तक व्यवस्था नहीं दी गई है और जब तक वे किसी निश्चित मर्यादा का उल्लंघन नहीं करेंगे और जब तक वे संघ के आज तक के निर्धारित नियमों का पालन करते रहेंगे ४. जब तक सब भिन्तु संघ के सब वृद्धों, पितरों और नेताओं की प्रतिष्ठा, आदर, भक्ति और सहायता करते रहेंगे और उनकी बातें सुनना अपना कर्तव्य समझते रहेंगे;