पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१०६

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( ७५ ) पाणिनि ने उन्हें एक स्वतंत्र जनपद अथवा राजनीतिक जाति के रूप मे पाया था; और उन्हें इतना अधिक महत्वपूर्ण समझा था कि जिस प्रकार उसने पंजाबवाली जातियों की सूची में सर्वप्रधान स्थान यौधेयों को दिया था, उसी प्रकार उसने पूर्वी जातियों में इन भगों को स्थान दिया था। जान पड़ता है कि बुद्ध भगवान् के अंतिम दिनों मे ये अपने पड़ोसी वत्सों के राजा की अधीनता मे चले गए थे और ( जातक तथा विनय* के अनुसार ) जिसका लड़का बोधि उन पर शासन करता था। पर फिर भी ये लोग बिलकुल अलग ही गिने जाते थे। शाक्य वह जाति थी जिसमे बुद्ध भगवान ने जन्म लिया था। बुद्ध शाक्य गण के सभापति के पुत्र थे। ये लोग कोशल के राजा की अधीनता में थे और बुद्ध के जीवन-काल में ही कोशल के राजा ने उनकी खाधीनता नष्ट कर दी थी। जान पड़ता है कि उनकी काउंसिल अथवा शासन सभा में ५०० सदस्य थे। कहते हैं कि शाक्यों मे एक नियम यह भी था कि प्रत्येक नागरिक केवल एक ही स्त्री के साथ विवाह कर सकता था। -- जातक, भाग ३, पृ० १५७ भाग १, पृ० २. १२७, ४, १९६- १९८ और Buddhist India पृ.८ । देखो 8 ४६ का नोट.

  • राहिल कृत Life of the Buddha प्रकरण २, पृ०१४-१५.