पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१०८

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( ७७ ) थे। इस सभा का अधिवेशन कपिलवस्तु मे वहाँ के संथा- गार* या सार्वजनिक भवन मे हुआ करता था। जिस सार्व- जनिक सभा मे राजा पसेनदि के प्रस्ताव पर विचार हुआ था, वह इसी प्रकार की सार्वजनिक सभा थी ( Buddhist India पृ० ११)। जब अंबढ़ अपने काम से कपिलवस्तु गया था, तब वह इसी संथागार मे गया था जहाँ उस समय शाक्यों का अधिवेशन हो रहा था । और वह मल्लों का संथागार ही था जिसमें बुद्ध भगवान के निर्वाण की सूचना देने के लिये आनंद गया था। उस समय मल्ल लोग वहाँ एकत्र होकर इसी विषय पर पहले से विचार कर रहे थे। .. यह शब्द संस्कृत संस्थागार से निकला है जिसका अर्थ House of Communal Law + Dialogues of the Buddha १११३ मे अनुवादित अंबढ़ सुत्तंत । वह वाक्य इस प्रकार है-“हे गौतम, एक बार पोक्सर- सादि के किसी कार्य से मुझे कपिलवस्तु जाना पड़ा था। वहाँ मै शाक्यो के संथागार मे गया था। उस समय वहीं बड़े बड़े मचो पर वृद्ध और युवक अनेक शाक्य थे।" शाक्यो के इसी प्रकार के अधिवेशन का उल्लेख करते हुए ललितविस्तर मे कहा गया है-'शाक्यगण का अधि- वेशन हो रहा है । “सर्व शाक्यगणं सन्निपत्यैव मीमांसते राजा शुद्धो- दनः... शाक्यगणेन सार्धं संख्यागारे निषण्णोऽभूत् । (१२ पृ० ११५. Biblothica. Indica. वाला संस्करण)। संभवतः शाक्यगण के ५०० सदस्य थे (१२)। वृद्ध और युवक कहने का तात्पर्य कदाचित् यह है कि वृद्ध और साधारण दोनों प्रकार के सदस्य उपस्थित थे। + महापरिनिबान सुत्तंत ६ २३.