पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१०९

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( ७८ ) "पदाधिकारी के रूप में एक ही प्रधान चुना जाता था। यह हम नहीं जानते कि उसका निर्वाचन किस प्रकार होता था और कितने दिनों तक के लिये होता था। वही प्रधान सब अधिवेशन का सभापति होता था; और जिस समय अधिवेशन नहीं होते थे, उस समय वह राज्य-संचालन का सब कार्य करता था। वह राजा की उपाधि धारण करता था जो संभ- वतः रोम के कांसल या यूनान के प्रारकन के रूप में होता होगा: लिच्छवियों में जिस प्रकार एक ही अधिकारी इस प्रकार के तीन भिन्न भिन्न अधिकारियों का काम करता था, उस प्रकार का अधिकारी हमें और कहीं नहीं मिलता। उप- युक्त वास्तविक राजाओं के जो जो कर्तव्य या कार्य कहे जाते हैं, उप प्रकार के पूर्ण अधिकार प्राप्त और कार्य करनेवाले राजा या शासक भी हमें और कहीं नहीं मिलते। परंतु हम एक अव- सर पर सुनते हैं कि बुद्ध का एक चचेरा भाई महोय राजा था। एक और दूसरे वाक्य में यह कहा गया है कि बुद्ध के पिता शुद्धोदन, जो और स्थानों पर एक साधारण नागरिक की भाँति शुद्धोदन शाक्य ही कहे गए हैं, राजा कहलाते हैं।" ४७. जातक में लिच्छवी शासकों को गयशासक अर्थात् प्रजातंत्री शासक कहा गया है। लिच्छवियों की जिस ..विनय पिटक २. १८१ वेसालिनगरे गण-राजकुलानाम् अभिसेक पोक्खरणीम् । जातक