पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१२१

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(60) में यह परिवर्तन बुद्ध के निर्वाण के उपरांत हुआ होगा। ऐत- रेय ब्राह्मण के अनुसार उत्तर मद्रों मे प्रारंभ में ऐसी ही शासन- प्रणाली थी जिसमें कोई एक व्यक्ति राजा नहीं होता था, बल्कि देश के सभी लोग राजा होते थे*। यदि और पहले नहीं तो कम से कम कौटिल्य के समय में मद्र लोगों के दूसरे अंश में अर्थात् खास मद्रों में वही संघ की शासन-प्रणाली प्रचलित थी जिसे राजशब्दोपजीवी कहते हैं। ६५४. लिच्छवियों का राजनीतिक इतिहास बहुत ही प्रसिद्ध है और उसे यहाँ दोहराने की आवश्यकता नहीं है। वे लोग बहुत बलशाली थे। वे शैशुनाक तथा मौर्य साम्राज्यों के उपरांत भी बच रहे थे और उन्होंने गुप्त साम्राज्य स्थापित करने में सहायता दी थी। उन्होंने नेपाल में एक विलक्षण शासन-प्रणाली प्रचलित की थी, जिसका वर्णन हम आगे चलकर दूसरे अवसर पर करेंगे। पर मल्ल लोग इतने अधिक समय तक जीवित नहीं रहे। मार्यों के समय में अथवा उसके कुछ ही उपरांत उनका कांड ८. जनपदा उत्तरकुरव उत्तरमद्रा इति.........तेऽमिपि- च्यन्ते ॥ १४ ॥ देखो आगे दसर्वां प्रकरण । । कुछ लोग लिच्छवियों को विदेशी बतलाते हैं। में जितने सिद्धांत हैं, वे सब इतने पोच हैं कि विलकुल ठहर ही नहीं सकते। देखो आगे इक्कीसर्वां प्रकरण ।

  • कात्यायन या पतंजलि में उनका कहीं पता नहीं चलता।

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