पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१२५

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(६४ ) जिसमें उपाधिधारी राजा भी होता । भोज लोग, जैसा कि हम आगे चलकर बतलावेंगे, ऐसे वर्ग के थे जिनमें एकराजवाली शासन-प्रणाली नहीं थी। कांभोज का शब्दार्थ है-निकृष्ट भोज । ६५७. सुराष्ट्र लोग (सुराष्ट्र का शब्दार्थ है अच्छा राष्ट्र) काठियावाड़ मे थे। वर्तमान सोरठ में अब तक उनका नाम अवशिष्ट है। जान पड़ता है कि वे मौर्य साम्राज्य के उपरांत भी बचे रह गए थे, क्योंकि बलश्री (लगभग ५८ ई० पू०+) के शिलालेखों तथा रुद्रदामन के जूनागढ़वाले शिलालेख ( ई० दूसरी शताब्दो) में उनका उल्लेख है। ५८. दूसरे दो राज्य क्षत्रियों+ और श्रेणियों के हैं; और मेसीडोनिया के लेखकों के लेखों के अनुसार ये सिध में एक पाणिनि और यास्क ने इस शब्द को कबोज लिखा है। पर यास्क इसकी व्युत्पत्ति भुज से बतलाता है। रामायण (१. ५५. २) और अर्थशास्त्र में यह शब्द क्रमशः कांबोज और कांभोज लिखा गया है। पहले रूप से उस पर ईरानी या पैशाची का प्रभाव सूचित होता है। एपिग्राफिया इंडिका, भाग क, पृ० ४४. मैंने इनका एक वंश-क्रम तैयार किया है और मेरा मत है कि गोतमीपुत्र शातकणि सातवाहन ही विक्रम था और इसी सिद्धांत के अनुसार मैने यह समय निश्चित jaar È I (J. BORS. I. 101) Brahmin Empire (Express, Patna, 1914); Modern Review, 1914. दूसरे विद्वानों ने इस शिलालेख का जो समय निर्धारित किया है, वह इसके एक शताब्दी बाद का है। एपिग्राफिया इंडिका, भाग ८, पृ०६० + एरियन, भाग ६, प्रकरण १५ ।