पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१२६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

(६५) दूसरे के पड़ोसी ज्ञात होते हैं। उन्होंने क्षत्रियों को Xathroi लिखा है। यूरोपियन विद्वान् अब तक यही मानते रहे हैं कि यह एक विशिष्ट उपजाति का नाम है। पर अब अर्थ- शास्त्र से यह पता चला है कि यह एक विशिष्ट राजनीतिक संघ का नाम था। टालेमी ने भी Xathrol जाति या उप- जाति का उल्लेख किया है। कुछ प्राचीन लेखकों ने अनेक ऐसे भिन्न भिन्न नामों का व्यवहार किया है, जिनसे उनका अभिप्राय अग्रश्रेणी या सबसे आगे के अथवा पहले श्रेणी सूचित होता है। जान पड़ता है कि श्रेणी लोग कई उपवर्गों या विभागों में विभक्त थे और जिन श्रेणियों से सिकंदर को काम पड़ा था वे अग्र या प्रथम श्रेणी थे। संभवतः इसी प्रकार के उपविभाग या वर्ग यौधेयों में भी थे जिनके सिक्के ॥२॥ और "३" अंकों से अंकित पाए गए हैं। मालूम होता है कि Xathron अथवा चत्रिय लोग अनेक उपजातियों के रूप में बच गए थे जो आजकल

- देखो मैकक्रिडल कृत Ancient India, Its Invasion

by Alexander the Great. पृ० ३६७. वे भिन्न भिन्न नाम इस TETE feetAgalassi, Agesinae, Acensoni, Argesinae, etc. । यह बात भी असंभव नहीं है कि सिकंदर के अग्रश्रेणी शब्द को कौटिल्य ने संक्षेप के विचार से केवल श्रेणी कर दिया हो । I कनिंघम कृत Coins of Ancient India पृ० ७८.