पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१३०

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( t ) की भूल नहीं कर सकते थे जिस प्रकार की भूल मैककिंडल ने बतलाई है। इसके अतिरिक्त शासन-संबंधी बातों को सम- झने और उनका विचार करने में चूनानी अधिक विश्वसनीय समझे जा सकते हैं। यदि हमे भली भॉति यह मालूम हो जाय कि चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में रहनेवाले यूनानी राज- दूत मेगास्थिनीज का वास्तव मे क्या कथन है, तो फिर उसमें किसी प्रकार के संदेह या मतभेद के लिये स्थान ही नहीं रह जाता। सिकंदर के साथी इतिहास-लेखक तो आए और आते ही चले गए, पर मेगास्थिनीज के संबंध में यह बात नहीं थी। उसने कई वर्षों तक यहाँ रहकर भली भाँति सब बातों का निरीक्षण किया था। शासन-प्रणाली के स्वरूप के विचार से उसने देश को दो भागों में विभक्त किया-एक तो वह जिसमें एकराजत्व शासन-प्रणाली थी और दूसरा वह जिसमें प्रजातंत्र शासन-प्रणाली थी। उसने लिखा है- "वे लोग .जहाँ राजा होता है वहॉ, सब बातों की सूचना राजा को देते हैं; और जहाँ लोग स्वाधीन होते हैं, अपना शासन आप करते हैं, वहाँ मजिस्ट्रेटों-स्थानीय अधिकारियों- को सूचना देते हैं। ..... - मैकिंडल कृत Megasthenes, Arrian XII साथ ही उक्त ग्रंथ के पृ० २१२ मे लिखा है-"राज्य के मत्री या परामर्श- दाता .........जो सार्यजनिक कार्यों के प्रबंध मे राजा को अथवा स्वाधीन नगरों के मजिस्ट्रेटों को परामर्श दिया करते हैं।"