पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१३१

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(१००) ६१. युनानी इतिहासकारों ने जिन प्रजातंत्रों का उल्लेख किया है, उनकी सब बातों पर यहाँ संक्षेप में विचार किया जाता है। यूनानी लेखकों ने लिखा है कि कथई भारत की सब से अधिक पराक्रमी जातियों में से एक है। यह जाति Hydraotes या रावी नदी के पूर्व में उस स्थान पर निवास करती थी जिस स्थान पर अाजकल लाहार और अमृतसर के जिले हैं। उनकी राजधानी संकल में थी। कई लोग युद्ध-विद्या में निपुण और पराक्रमी होने के कारण सबसे अधिक प्रसिद्ध थे। सिकंदर के साथ युद्ध करने के थोड़े ही दिनों पहले उन्होंने कुछ दूसरे भारतीय प्रजातंत्रियों के साथ मिलकर राजा पुरु और अभिसार के राजा दोनों को हराया था। कहा गया है कि इन कथई लोगों ने ही सिकंदर के मुकावले में वह व्यूह- रचना की थी जो हिंदू युद्धकला में शकट-व्यूह कहलाती है और जिस ब्यूह-रचना के कारण सिकंदर के सैनिकों को बहुत अधिक कठिनता का सामना करना पड़ा था। यद्यपि उनके मुकाबन्ते पर आई हुई शत्रु-सेना की संख्या बहुत अधिक थी , तथापि वे लोग बहुत ही वीरतापूर्वक लड़े थे और उन्होंने हार नहीं मानी थी। इस जाति के पुरुष और स्त्रियों आप देखो परियन कृत Anabasis, V.22. IIA; पृ० ११५. पिरियन की कुछ प्रवृत्ति ही ऐसी है कि वह सिकंदर की कीर्ति बढ़ाने के लिये भारतवासियों और उनके निहतों की संख्या बहुत बड़ा-