पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१३३

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(१०२) साथ ही हमें यह बात भी विस्मृत नहीं कर देनी चाहिए कि वही लंग्य चत्रिय शब्द के लियं Xathroi शब्द का व्यवहार करते हैं। ऐसी दशा में, जैसा कि डा० जाली ने बतलाया है, उनका कथया शब्द कठ लोगों के देश के लिय है और कंधाई शब्द स्वयं कठ लोगों के लिय है। ६४२. कथई लोगों तक पहुँचने से पहन्त सिकंदर को राबी नदी के तट पर कई स्वतंत्र भारतीय जातियां अथवा प्रजा- वंत्रों का सामना करना पड़ा था। (एरियन, ५.२१.) राबी सं बाड़ी ही दूर पर एक और जाति के लोग अमने थे जिनकी राजधानी को यूनानियों ने पिंप्रम ( Pim- अनन्नई prama) वतन्नाया है और जिनकं नाम की हिज्जे उन्होंने इस प्रकार की है- Adraistai, Adrestae | यूरोपियन विद्वानों का यह बहना है कि इन्हें प्रसिद्ध अरष्ट समझना चाहिए। परंतु भाषा- विनान की दृष्टि से अरह शब्द से अदेस्तई शब्द निकलना असंभव है। इन्हें पाणिनि (६.२. १००.) का और गण- पाठ (४.२.८०.) का अरिष्ट माना जा सकता है।

  • Sacred Books of the East, ७. भूमिका पृ. १५।

कों मेत्र में ६ ६३, ८२ और १७६ देवी । मेकिंडल कृन Alexander, पृ. १६ का नोट ।

  • अरिष्टगारपूर्व

यहीं अग्टिों की राजधानी सं अमिग्राम है।