पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१३७

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वे लोग अपने अधिकारों का उपयोग बहुत ही न्याय तथा विचारपूर्वक करते हैं ( एरियन ५. २५,*)। कौटिल्य के वाशिस्त्रोपजीविनः से यह विवरण बहुत कुछ मिलता जुलता है। वे लोग कृषि कर्म करने के कारण बहुत अधिक संपन्न होते थे, अपने आपको युद्ध के लिये सदा तैयार रखते थे और अपनी तलवार पर ही निर्भर रहते थे। पर दुर्भाग्यवश इस राज्य का नाम ही नहीं दिया गया है। वास्तविक शासना- धिकार उन्हों लोगों के हाथ मे था जिन्हें यूनानी लोग सरदार या रईस कहते थे। पर उनकी पालिमेट में पाँच हजार प्रतिनिधि होते थे। जिस स्थान पर यौधेय सिक्के मिले हैं, उसे देखते हुए व्यास-तट का यह बिना नामवाला राज्य यौधेयों का ही जान पड़ता है। पार्लिमेंट या राजसभा का प्रत्येक सदस्य राजकीय सेना के लिये एक हाथी दिया करता था। एरियन (५.२५.) के अनुसार इन भारतवासियों के पास बहुत अधिक संख्या में हाथी रहा करते थे और वे हाथी बहुत बड़े मैक्किंडल कृत I. I. by Alexander पृ० १२१. + "हुपानिस नदी के उस पार की सारी भूमि बहुत अधिक उपजाऊ होती है।... ..लोग कहते हैं कि वहीं ऐसी शासन- व्यवस्था है जिसमें सरदार या रईस लोग शासन करते हैं और जिनमे पाँच हजार सदस्य या प्रतिनिधि होते हैं; और उनमे से प्रत्येक सदस्य राज्य को एक हाथी देता है।" स्टूबो १५, ३७. ( मैक्किंडल कृत Ancient India as described in Classical Lite- rature, पृ० ४५.) .........