पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१३८

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(१०७) तथा साहसी हुआ करते थे। जैसा कि स्वय' सिकंदर ने लिखा है-"मैसिडोनियावाले केवल छोटी छोटी सेनाओं से लड़ने के अभ्यस्त थे और अब की पहले पहल उन्हें बहुत बड़ी बड़ी सेनाओं का सामना करना पड़ा था। वे लोग ऐसी जातियों के मुकाबले पर एक इंच भी आगे बढ़ने के लिये तैयार नहीं होते थे जिन जातियों का नाम सुनकर ही, सिकंदर के कथनानुसार, उसके सैनिक भयभीत हो जाते थे। यही वह बिना नाम- वाला प्रजातंत्र था जो व्यास नदी के दूसरे तट पर स्थित था । इसके अतिरिक्त मैसिडोनियावालों का स्वागत करने के लिये नंद की बहुत बड़ी सेना भी प्रतीक्षा कर रही थी। परंतु भय का तात्कालिक कारण यह था कि नदी के उस पार ही प्रजातंत्रवालों से उनकी मुठभेड़ होने को थी। अब सिकंदर के सैनिक हतोत्साह होने लगे, और आपस मे मिलकर परामर्श के लिये सभाएं करने लगे, जिनमें लोगों ने दृढतापूर्वक यह निश्चय किया कि अब हम लोग सिकंदर का और आगे साथ नहीं देंगे। इसी बिना नामवाले प्रजातंत्र के द्वार या सीमा पर से सिकंदर के आक्रमणकारी साथी पीछे हटे थे। इन लोगो की काउंसिल के सदस्यों की इतनी अधिक संख्या की तुलना लिच्छवी गा के सदस्यों से की जा सकती है (६४७)। 2

- I. I. A.पृ० २२४

+ मैक्किंडल I. I. A पृ० २२६ + एरियन १ २५. देखो मैकिंडकल कृत I. I. A. पृ० १२१