पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१३९

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(१०८) ६५. पीछे लौटने पर भी सिकंदर को कई प्रजातंत्र राज्य मिले थे। वास्तव में उसे लौटते समय सिंधु नद के तट पर और वलोचिस्तानावधि भारतीय क्षुद्रक, मालव सीमा तक जितने राज्य मिले, वे सब और शिवि प्रजातंत्री ही थे। उनमें से सबसे अधिक बलशाली क्षुद्रक और मालव थे। यूनानियों ने इनके नाम क्रमशः इस प्रकार लिखे हैं-Oxydrakai, Malloi | ये दो राज्य हिडेस्पेस के तट पर थे। इस हिडैस्पेस से यूनानियों का कदा- चित् झेलम नदी के उस अंश से अभिप्राय है जो उसमें चनाब नदी के सम्मिलित होने के उपरांत पड़ता है। इन दोनों राज्यों ने मिलकर एक संघ या लीग स्थापित की थी। एरियन (६.६.) कहता है कि इन प्रदेशों में ये लोग संख्या में भी बहुत अधिक थे और भारतीय जातियों में से सबसे अधिक योद्धा भी थे। सिकंदर पहले उस जाति के पास पहुंचा जो मल्लोई कहलाती है। इन मल्लोइयो के पास ही उनके प्रजात'त्री मित्र रहते थे जो सिबाइ (Sibon) कहलाते थे और जिन्हें जातकों तथा पतजलि ने क्रमशः सिवि और शैव्य कहा है। सिलामो काशिका का क्षत्रिय- ४. २. ४५ किर्टि यस । ४ उन लोगो से कोई राजा नहीं था। बड़े बड़े अधिकारियों का काम केवल नागरिक ही करते थे। डायोडोरस १७. ६६. + जातक ६. ४८०. कीलहान २. २८२. जातकों के समय से ये लोग लोवीर से संबद्ध थे (४ ४०१),अर्थात् उस समय भी वे लोग उसी स्थान पर थे जिस स्थान पर यूनानियों से उनका मुकाबला हुआ था।