पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१४१

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(११०) नक जातियों के समझते थे और उनकी धारणा थी कि ये लोग विना हमारा रक्त बहाए हमें नहीं जाने देंगे। मैसिडोनिया- वालों का इस प्रकार भयभीत होना बहुत ही ठीक था; और इस बात का समर्थन सिकंदर की व्यक्तिगत विपत्ति और उसके उपरांत होनेवाले आत'नाद से भली भॉति होता है (I. I A. पृ० २४१-२)। ६६६. यूनानी लेखक सदा सिकंदर की कीर्ति और यश का आवश्यकता से कही अधिक विस्तार करने और महत्व बढ़ाने के लिये परम उत्सुक रहा करते थे और वे अपने वर्णनों से हमें यह विश्वास दिलाना चाहते हैं कि सिकंदर ने क्षुद्रकों और मालवों को कुचल डाला और नष्ट कर दिया था । पर पतंजलि कुछ और ही बात बतलाता है। वह इस द्वंद्व का इस प्रकार वर्णन करता है जिससे सूचित होता है कि उसके "इस घटना के संबंध में इतिहासकारो ने बहुत सी सनगढ़त बातें लिखी है और प्रसिद्धि या कीर्ति ने उन्हें उनके मूल आविष्कारकों से प्राप्त करके हमारे समय तक सुरक्षित रखा है। और अब श्रागे भी वह इन झूठी बातों को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाने में नहीं चूकेगी।" एरियन, भाग ६. अ० ११. "प्रसिद्धि या कीति कभी इतनी स्पष्ट नहीं होती कि उसमें सव बातें अपने वास्तविक रूप मे दिखाई पड़ सके। जब वह उन बातों को हस्तां- तरित करती है, तव उन सब का रूप बहुत अधिक बढ़ जाता है । स्वयं हमारी (सिकंदर की) कीति भी यद्यपि अधिक दृढ़ आधार पर स्थित है, तथापि वह अपने महत्व के लिये वास्तविकता की अपेक्षा प्रवाद की अधिक ऋणी है।" मैक्किंडल कृत I. I. by Alexander पृ० २२३.