पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१४८

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(११७ ) का विश्वास करें तो, ४०००० पैदल और ३००० घुड़सवारों की सेना एकत्र की थी। "वे अपनी तंग गलियों में जम गए थे और बहुत वीरतापूर्वक लड़े थे, जिसके अग्रश्रेणी कारण सिकंदर को आक्रमण करते हुए आगे बढ़ने में अपने कुछ सैनिकों के प्राण गँवाने पड़े थे ।" कर्टियस का कथन है कि जब ये वीर लोग अपने विकट आक्रमणकारियों को रोक न सके, तब उन लोगों ने अपने घरों में आग लगाकर अपनी स्त्रियों और बच्चों को उसी प्रकार जला डाला, जिस प्रकार इधर के राजपूत जौहर करके अपने बाल- बच्चों को जला डाला करते थे। ७१. यूरोपियन विद्वानों का मत है कि ये लोग प्रार्जु- नायन थे। परंतु भाषा-विज्ञान की दृष्टि से उनका यह निर्धारण ग्राह्य नहीं हो सकता। यह नाम अग्र और श्रेणी इन दो शब्दों के संयोग से बना है। और यह मूल शब्द

- डायोडोरस, भाग १७, प्रक० ६६ मैककिंडल कृत Alexander

पृ० २८५. | कर्टियस, भाग १, प्रक० ४. मैक्किंडल कृत Alexander पृ० २३२

  • उक्त ग्रंथ से, पृ० ३६७. जान पड़ता है कि उस समय प्रार्जुनायन

राज्य का अस्तित्व ही नहीं था। पतंजलि के समय तक उसका पता नहीं चलता। महाभारत में भी जिसमें उस प्रांत के, जिसका हम उल्लेख कर रहे हैं, सब प्रजात'त्रों का वर्णन है, इसका कहीं नाम नहीं है। (देखो सभापर्व, अध्याय ५२. श्लोक १४-१५.)