पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१४९

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(११८) कौटिल्य की प्रजातंत्रवाली उस सूची में पाया जाता है, जिसमें के प्रजातंत्र अपने शासक को राजा नहीं कहते थे, बल्कि जो शस्त्रोपजीवी थे। वहाँ केवल श्रेणी रूप ही मिलता है, और उसके साथ के अग्र शब्द से यह प्रमाणित होता है कि श्रेणियों में एक से अधिक वर्ग या विभाग थे (६५८)। ६ ७२. इसके उपरांत यूनानियों ने जिस प्रजातंत्र का उल्लेख किया है, वह अंबष्ठों का है। यूनानियों ने यह नाम अंबस्तई या अंबस्तनोइ रूप में लिखा अंबष्ठ है।। न तो संख्या में ही और न वीरता में ही वे लोग भारत में किसी से कम थे। उनमें प्रजा- तंत्र शासन-प्रणाली प्रचलित थी। उनकी सेना में ६०००० पैदल, ६००० सवार और ५०० रथ थे। उन्होंने अपने लिये तीन सेनापति चुने थे, जो अपनी वीरता और युद्ध-कुशलता के लिये प्रसिद्ध थे। सिकंदर ने इन लोगों के साथ संधि कर ली थी। उसके पास इनमें के पचास प्रमुख नागरिक, राजदूत के रूप में, यह विश्वास करके आए थे कि हमारे साथ बहुत ही सज्जनतापूर्ण व्यवहार किया जायगा। डायोडोरस का कथन है कि अंबष्ठों

- देखो ऊपर ६५३ का विवेचन ।

डायोडोरस, भाग १७, प्रक० १०२. मैकक्रिडल कृत Alexan- der पृ० २६२.

  • कटियस, भाग १, प्रक. ८, मैककिंडल कृत Alexander

पृ०२५२.