पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१५१

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। ( १२०) लागी का वाद का जो कीर्तिपूर्ण इतिहास है, उसमें वे लोग प्रजातंत्री ही थे अत: पुराणों का कथन अवश्य ही उनकी प्रारंभिक अवस्था के संबंध में होगा । १७४. इनके उपरांत दूसरी स्वतंत्र जाति क्षत्रोइयां की थी। इस शब्द का संस्कृत रूप क्षत्रिय होगा। जैसा कि हम पहलं कह चुके हैं, इन लोगों का वही प्रजातंत्र था जिसका नाम क्षत्रिय था और जो इसी रूप में अर्थशास्त्र में दिया हुआ है। कौटिल्य ने इन्हें श्रेणियों के साथ रखा है; और यहाँ भी हमें क्षत्रिय लोग श्रेणियों के पड़ोस में ही मिलते हैं। जैसा कि हम अभी पहले कह चुके हैं, आधुनिक सिंधी खत्री ही इनके प्रतिनिधि या वंशज जान पड़ते हैं। कौटिल्य के वर्गीकरण के अनुसार ये लोग राजशब्दोपजीवी वर्ग के हैं, अर्थात् इन लोगों का प्रवान शासक राजा नहीं कहलाता था । १७५, एरियन के कथनानुसार ओस्सदिनोई (Dosadioi) भी एक स्वतत्र जाति के लोग है। और किसी लखक ने जो लोग अंबष्ठों के दक्षिण में निवास करते थे, उन्हें यूनानी लोगों ने ग्मो (Sodrai) लिखा है। (मैक्किंडल कृत Alexan- der पृ० २६३.) इन सिंधी लोगों को लेसन ने ( Ind. Ant. 2. 144, 177.) शूद्र बतलाया है। परंतु यह रूप पाणिनि के गणपाठ १. २. ४. के शोह (शौद्रायण ) से अधिक मिलता हुआ है। अर्थशास्त्र ११. पृ० ३७६.

  • एरियन, भाग ६. अ० १५. मैक्किंडल कृत Alexander

पृ० १५६. स्टूबी, भाग १५. ग्रक० ३४.