पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१५२

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(१२१) इनका उल्लेख नहीं किया है। इन्हें यौधेय मानना (जैसा कि कनिंघम ने माना है * ) भाषा-विज्ञान के तत्वों के आधार पर ठीक नहीं है। जैसा कि वी० डी सेंट मार्टिन (मैककिंडल, Alexander पृ० १५६. नोट) में बतलाया है, ये लोग महाभारत (सभापर्व, अध्याय ५२. श्लोक १५) में वर्णित वसाति जान पड़ते हैं। महाभारत में ये लोग तुद्रकों और मालवों के पड़ोसी के रूप में मिलते हैं; और इनका नाम उस वर्ग में है जो अंबष्टों से प्रारंभ होता है। कात्यायन और पतंजलि ने वसावि लोगों के देश का शिबि लोगों के देश के साथ उल्लेख किया है (पाणिनि पर भाष्य ४.२. ५२.)। गणपाठ (पाणिनि का ४. २. ५३.) मे ये लोग ऐसे वर्ग में रखे गए हैं जिसका प्रारंभ प्रजातंत्री राजन्यों से होता है (६१६०.)। $ ७६. यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि 'इसके उपरांत जिस जाति या राज्य का उल्लेख है, उसमे एकराज शासन-प्रणाली प्रचलित थी मुसिकनि अथवा प्रजातंत्र शासन-प्रणाली। पर हॉ, सिकंदर के साथियों ने उनकी शासन-प्रणाली और कानूनों को बहुत प्रशंसा की है। "ये लोग किसी कला, उदाहरणार्थ युद्ध आदि, का बहुत अधिक पीछा करना अथवा उसमें बहुत अधिक निपुणता प्राप्त करना अनुचित और निंदनीय समझते हैं।" (स्ट्रैबो १५, ३४.) यह राज्य भारतवर्ष भर में सब से कनिंघम A.S. R. भाग १४. पृ० १४०.