पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१५३

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(१२२) अधिक संपत्तिशाली और संपन्न कहा गया था। इसके सब नागरिक एक साथ मिलकर भोजन करते थे। इस प्रकार की प्रथा का अथर्व वेद मे भी उल्लेख है ।। वे लोग दासत्व प्रथा को नहीं मानते थे। (न्ट्रैवी १५, ३४.) अपने यहाँ के साहित्य में से इस स्वतंत्र जाति के लोगों का नाम हुँद निकालना बहुत कुछ संभव है। लैसन का मत है कि ये लोग मूषिक हैं: पर यह वात ठीक नहीं है। मूषिक लोग सह्य या विध्य पर्वत के नीचे रहते थे + | यूनानियों का शब्द, जान पड़ता है, उन लोगों के लिये है जिन्हें काशिका मकक्रिडल कृत Ancient India as described in Classical Literature. पृ०४१ ज्यायस्वंतश्चित्तिना मा वि यौष्ट संराधयंतः सधुराश्चतः । अन्यो अन्यस्मै वल्गु वदंत एत सधीचीनांवः संमनसस्कृणोमि ॥५॥ समानी प्रपा सहवोन्नभागः समाने गेक्त्रे सहवो युनज्मि !......... "समान मनवाले अपने नेता का अनुकरण करते हुए उनसे अपने आपको कभी अलग मत रखो। एक दूसरे के साथ मिलते हुए, एक ही मार्ग का अनुसरण करते हुए, परस्पर प्रिय रूप से भाषण करते हुए यहाँ आयो । मैं तुम्हे समान उद्देश्य और समान मनवाला बनाता हूँ।" "तुम लोगों का पान समान होगा; अन्न का भाग भी समान होगा। मै तुम सबको एक ही मार्ग में युक्त करता हूँ।'

मैकिंडल कृत I. I A. पृ० १५७. नोट।

+ जायसवाल, Hathigumph Inscription of the Emperor Kharvela, J. B. C. R. S. भाग ४. पृ. ३७६,