पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१५४

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( १२३ ) (पाणिनि पर वृत्ति ४. २.८०. पृ० ३१३.) में मुचुकर्ण कहा गया है और जहाँ यह शब्द एक विशिष्ट देश माचुकर्णिक का नाम सूचित करने के लिये आया है। छपे हुए गणपाठ मे यह शब्द अशुद्ध रूप में मिलता है। परंतु काशिका में इस शब्द का जो रूप दिया गया है, उसका समर्थन वर्धमान कृत गयरत्न-महोदधि* (४. २८५.) से भी होता है और वर्धमान ने इसका रूप शकटांगज के आधार पर दिया है। इसका एक दूसरा रूप मुचिकर्ण भी जान पड़ता है (अशुद्ध रूप शुचिकर्ण पृ० १७४.)। [ इनके पड़ोसी संबोस और प्रेस्ती (जो कदाचित् महा- भारत में वर्णित प्रस्थल हैं।) राज्यों के रूप में उल्लिखित हैं।] 8 ७६ क. इसके उपरांत सिकंदर ने चमनोई नामक जाति के नगर पर (एरियन ६. १६. डायोडोरस २७. १०२.) आक्रमण किया था, जिसे बचमन का देश बचमनाई ( डायोडोरस १७. १०३.) कहा गया है। जान पड़ता है कि यह वही नगर है जिसे पतंजलि ने "ब्राह्मणको नाम जनपदः" (२. पृ० २६८.) अर्थात् ब्राह्मणक नामक देश या राज्य कहा है। यहाँ जनपद शब्द उसी अर्थ में आया है जिस अर्थ मे उसका प्रयोग पाणिनि में और सिक्कों पर हुआ है। अर्थात् उसका अर्थ है-ऐसा देश या राज्य जो

- भीमसेन द्वारा संपादित; १८६८ (प्रयाग) पृ० १७४.

+ सभापर्व, अध्याय १४.