पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/१५६

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पटल (१२५) $ ७७. उक्त राज्य के दक्षिण में सिंध नद के डेल्टा या स्रोतांतर में पटल का राज्य था। सिकंदर के वहाँ पहुंचने से पहले ही वहाँ के सब लोग इसलिये अपना घर बार छोड़कर भाग गए थे कि जिसमें सिकंदर की अधीनता न स्वीकृत करनी पड़े। छोटे छोटे भारतीय प्रजातंत्रों के निवासियों का यह नियम सा था कि वे लोग अधीनता स्वीकृत करने से बचने के लिये अपना निवासस्थान छोड़कर भाग जाया करते थे। जातकों और महा- भारत में इस बात का उल्लेख है कि जब जरासंध ने वृष्णियों को बहुत अधिक दबाया, तब वे लोग मथुरा छोड़कर द्वारका चले गए थे। शिबियों का पंजाब छोड़कर राजपूताने जाना और मालवों का पंजाब से मालव जाना भी संभवत: इसी प्रकार की परिस्थितियों मे हुआ था। पटल लोगों की शासन-व्यवस्था में उनका शासक 'मोयरस' कहलाता था * | जान पड़ता है कि यह भी उसी धातु से निकला है, जिस धातु से (गणपाठ पा०४.१.१५१. का) मुर शब्द निकला है और जिसे वर्धमान ने अपने गणरत्न-महोदधि ( ३. २०६.) में शासक का बोधक माना है। कर्टियस ने इसे एकतंत्री राज्य अथवा एकराज माना है। उसके वर्ग के लेखक प्रायः इसी प्रकार की भूल किया करते थे और वे यहाँ के राजाओं तथा निर्वाचित शासकों का प्रक०८

  • कर्टियस भाग १

पृ० २५६. मैकिंडल कृत Alexander